ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ से जानिए गणेश चतुर्थी की पूजन का शुभ मुहूर्त व दुर्लभ योग

🚩1893 में जब पहली बार बालगंगाधर तिलक ने शुरू किया था गणेश उत्सव, ठीक वैसा ही दुर्लभ योग 126 साल बाद बन रहा है 22 अगस्त 🚩


🏵गणेश चतुर्थी पर विशेष संयोग शनिवार से शुरू होकर आगामी 10 दिनों तक गणेश उत्सव अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाएगा🏵


🚩अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:03 से 12:54 तक रहेगा


बिंदास बोल @ ज्योतिष


ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी शनिवार 22 अगस्त को मध्यान्ह काल मे चतुर्थी होने से गणेश चौथ (महागणपति चतुर्थी ) इसी दिन मनाई जाएगी । जिसमें प्रथम पूज्य गणेश जी का जन्मोत्सव घर घर पूजा करके मनाया जाता है।



ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ शुक्रवार को रात्रि 11 :03  मिनट से हो रहा है। यह 22 अगस्त को दिनभर और रात के 7 बजकर 58 मिनट तक होगा। संपूर्ण साधनाओं को पूरा करने वाला साध्य योग इसी दिन है। गणेश का जन्म मध्यमान काल में हुआ है। अत: इनकी पूजा मध्यमान काल में की जाएगी ।


🏵शास्त्रों में गणेश पूजन का श्रेष्ठ समय मध्यान्ह काल ( वृश्चिक लग्न को सर्व श्रेष्ठ बताया है जो शनिवार को 11:12 से दोपहर 1:46 तक है )


💥इसके अलावा श्रेष्ठ चौघड़िये प्रातः 7:42 से 9:18 बजे तक शुभ का है ।


💥दोपहर 12:30 से सांयकाल 5:18 बजे तक चर, लाभ व अमृत के चौघड़िये रहेंगे ।


🏵अभिजीत मुहूर्त 12:03 से 12:54 तक रहेगा


🏵गणेश चतुर्थी पर गज केसरी योग


ज्योतिष परिषद एव शोध संस्थान के निदेशक ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार गणेश उत्सव पर गज केसरी योग भी बन रहा है । जब चंद्रमा और बृहस्पति एक दूसरे से केंद्र में होते है तो यह धन समृद्धिदायक योग बनाता है ,और चार ग्रह सूर्य सिंह राशि में, मंगल मेष में, गुरु धनु में और शनि मकर में रहेगा। ये चारों ग्रह अपनी-अपनी स्वामित्व वाली राशियों में रहेंगे। इन ग्रह योगों में गणेश उत्सव की शुरुआत प्रदेश, देश  के लिए शुभ रहने वाली है। गुरु धनु में होने से यह संयोग ओर भी बेहतर बनेगा। व्यापार उन्नति करेगा और विश्व में भारत का वर्चस्व बढ़ेगा। प्राकृतिक आपदाओं में कमी आएगी। आतंकवाद नियंत्रण में रहेगा। जनता के लिए भी यह समय अनुकूल रहेगा।


🏵गणपति की स्थापना


ज्योतिषाचार्य पंडित गौड़ ने बताया कि 22 अगस्त भाद्रपद माह की चतुर्थी को अपने-अपने घरों के प्रवेश द्वार पर विराजमान गणेश जी व व्यवसाय स्थलों गणपति जी का पूजन अर्चना करते है । अपने गणपति की मूर्तियों को स्थापित करते हैं। विधि-विधान से पूजा करते हैं। हालांकि कोरोना काल में सार्वजनिक जगहों पर गणपति स्थापना की मनाही है। ऐसे में लोग घरों पर ही श्रद्धापूर्वक गणेश उत्सव मनाएंगे।


इस बार शनिवार का दिन है। भगवान गणेश जी को बुद्धि, विवेक, धन-धान्य, रिद्धि-सिद्धि का कारक माना जाता है। मान्यता है कि गणेश जी को प्रसन्न करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति की स्थापना होती है।


🚩मंगलवार को भी होती है गणेश पूजन की परम्परा 


गणेशोत्सव चित्रा नक्षत्र में शुरू होता है, इसके स्वामी मंगल हैं। इसी वजह से मंगल ग्रह वार मंगलवार को भी गणेशजी का विशेष पूजन करने की परंपरा है। चित्रा नक्षत्र का पहला चरण कन्या राशि का होता है, इसका स्वामी बुध है। इस कारण बुध ग्रह के वार बुधवार को गणेशजी की पूजा खासतौर पर की जाती है।


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