💥18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक चलेगा अधिक मास..15 दिन रहेगे शुभ योग
💥अधिक मास के दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग 9 दिन, द्विपुष्कर योग 2 दिन, अमृत सिद्धि योग 1 दिन और पुष्य नक्षत्र योग 2 दिन रहेन्गे ।
💥शुक्ल नाम के शुभ योग में अधिक मास की होगी शुरुआत..रहेंगे पुष्य नक्षत्र योग, रवि पुष्य व सोम पुष्य नक्षत्र योग भी
बिंदास बोल @ जयपुर : ज्योतिष परिषद एव शोध संस्थान के निदेशक ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार अधिक मास की शुरुआत 18 सितंबर को शुक्रवार, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और शुक्ल नाम के शुभ योग में होगी। इसका समापन 16 अक्तूबर को होगा, ये माह काफी शुभ रहेगा। इस महीने में 26 सितंबर एवं 1, 2, 4, 6, 7, 9, 11, 17 अक्टूबर सर्वार्थसिद्धि योग भी होने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होंगी। इसके अलावा 19 व 27 सितंबर को द्विपुष्कर योग भी है। इस योग में किए गए किसी भी काम का दोगुना फल मिलता है। इस बार अधिक मास में दो दिन पुष्य नक्षत्र भी पड़ रहा है। 10 अक्टूबर को रवि पुष्य और 11 अक्टूबर को सोम पुष्य नक्षत्र रहेगा, जो शुभ काम के लिये उत्तम रहेगा। यह तिथियां खरीदार के लिए शुभ मानी जाती हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि पौराणिक सिद्धांतों के अनुसार अधिक मास के दौरान यज्ञ-हवन के अलावा श्रीमद् देवीभागवत, श्री भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, भविष्योत्तर पुराण आदि का श्रवण, पठन, मनन विशेष रूप से फलदायी होता है। अधिक मास के अधिष्ठाता भगवान विष्णु जी हैं । दान, पुण्य, पूजा-पाठ व श्रीमद् भागवत कथा के लिए ये मास पुरुषोत्तम पवित्र महीना माना जाता है। गौड़ ने बताया कि बताया कि 19 वर्ष बाद ऐसा संयोग बना है, जब अश्वनी मास में पुरुषोत्तम मास मनाया जाएगा। इसके पहले यह संयोग वर्ष 2001 में बना था। यह महीना भगवान विष्णु जी की भक्ति, आराधना के लिए जाना जाता है। भगवान विष्णु जी की भक्ति, उपासना और श्रीमद्भ भागवत कथा सुनने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है। गौड़ ने बताया कि अधिक मास के दौरान धार्मिक अनुष्ठानो व कार्यक्रमो पर कोरोना संक्रमण का भी असर दिखाई देगा।
देशभर में इस बार कोरोना संक्रमण के कारण श्रीमद् भागवत कथा प्रसंगों की गूंज सुनाई देगी, ऐसी संभावना कम ही लग रही है। वहीं कुछ लोग तीर्थ यात्रा भी करते हैं, उनकी यात्रा में कोरोना संक्रमण बाधा बन सकता है।
💥अधिक मास की यह है कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार मलमास होने के कारण कोई इस मास का स्वामी होना नहीं चाहता था, तब इस मास ने भगवान विष्णु से अपने उद्घार के लिए प्रार्थना की। प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु जी ने उन्हें अपना श्रेष्ठ नाम पुरषोत्तम प्रदान किया। साथ ही यह आशीर्वाद दिया कि जो इस माह में भागवत कथा श्रवण, मनन, भगवान शंकर का पूजन, धार्मिक अनुष्ठान, दान आदि करेगा, वह अक्षय फल प्रदान करने वाला होगा। इसलिए यह माह दान-पुण्य अक्षय फल देने वाला माना जाएगा।
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