नवरात्र विशेष : संकल्प ले कि किसी भी महिला को मानसिक पीडा नही होने देंगे

रीमा गोधा की बिंदास कलम से


शारदीय नवरात्र महापर्व की सभी को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं 💐 माँ दुर्गा हम सबकी रक्षा करे। माँ शेरा वाली हम सबको कोरोना कहर के बीच सकारात्मक जीने की हिम्मत व सदबुद्धी दे। आज नवरात्र स्थापना की शुभ घड़ी में मेरी हर महिला व पुरुष से विनती है कि सभी ये संकल्प ले कि हम घर हो या समाज कही भी किसी भी महिला को मानसिक पीड़ा नही देंगे। अगर हम किसी महिला की समस्या या दर्द का समाधान करने मे मदद नही करना चाहते है तो मत किजीये, लेकिन किसी महिला के जीवन मे दर्द या मानसिक परेशानी पैदा करने मे सहयोग ना करे। तभी सही मायने मे हम सब लोग अपने कर्मो की शक्ति से माँ दुर्गे को प्रसन्न कर पायेंगे। 



💥अक्सर समाज मे ये देखने को मिलता है कि महिला अत्याचार, बलात्कार की घटनाए घटते ही सभी महिलाए, समाज सेवी, नेताओ मे गुस्सा, जोश व तूफान या सुनामी आ जाता है। पुलिस कर्मी महिला कानून व अधिकारो की तख्तीया लेकर गली-गली नारे लगाते दिखाई देते है। थानो मे महिला डेस्क बनाकर महिला अत्याचार रोकने की बडी-बडी बाते करते है। बड़े बैनर की मिडिया टीआरपी बढ़ाने के चक्कर मे पक्ष व विपक्ष नेताओ व समाज सेवियो से महिला अत्याचार व बलात्कार पर बहस मे समय बर्बाद करती नज़र आती है। सोशल मिडिया की सभी पोस्ट महिला के सपोर्ट व समर्थन मे दिखाई देती है। विपक्षी नेता जनता के साथ सडको पर धरना-प्रदर्शन व मोमबत्ती जलाने मे अपना अमुल्य वक्त व्यर्थ करते नज़र आते है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे सभी लोग उस पीडित महिला के दर्द से स्वयं भी सदमे मे आ गये हो। ये सोचना जरुरी है कि क्या सच मे हम सब उस पीडित महिला के दर्द को या उसकी मानसिक व शारिरिक पीडा को कम करने मे सहयोग दे रहे है या उसकी पीडा को और बढा रहे है। क्या सच मे उसकी समस्या का समाधान कर पा रहे है, क्या उसके जीवन के संघर्ष को कम करने मे मदद कर पा रहे है। महिला अत्याचार की घटनाओ पर बबाल खडा करने वाले या देश की बेटियो के लिये सदमे मे आने वाले इन कथित लोगो मे से कितने लोग ऐसे है, जो अपने घर या आस-पडौस या महिला साथियो के दर्द या मानसिक परेशानी को जानने या समाधान करने की कोशिश करने मे अपना वक्त देते है। कितने पुलिसकर्मी दिन-भर मे कितने महिला सम्बंधी मामलो को निपटाने का प्रयास करते है।


हकिकत ये है कि हममे से 50 प्रतिशत लोग अपने घर, आस-पडौस, ऑफिस, संस्थाओ या समाज मे महिलाओ को बिना प्रमाण या सबूत के पागल, सनकी, मानसिक बिमार, झगड़ारालु


लडाकू, चूडेल, चरित्रहीन या अन्य अपशब्द कहते या महिलाओ के आतंरिक मामलो पर या वेशभूषा पर व्यंग कसते हँसते नज़र आते है। फिर ये ही व्यंग कसने वाले कथित लोग सडको पर व सोशल मिडिया पर देश की बेटियो की सुरक्षा के लिये आवाज उठाते दिखाई देते है।हकीकत ये ही है आज देश मे हर घर हर गली हर मोहल्ले मे घरेलू हिंसा, महिला अत्याचार व मानसिक प्रताड़ना के मामले बढते जा रहे है, इसके जिम्मेदार कही ना कही हम सभी के कर्म ही है। इसलिए नवरात्र स्थापना पर हर इन्सान यह संकल्प ले कि अपने घर, मोहल्ले व दोस्तो मे किसी भी महिला के साथ घरेलू हिंसा या अन्य मानसिक परेशानी बढ़ाने मे हम सहयोग नही करेगे। किसी भी महिला को बिना ठोस प्रमाण या सबूत के पागल, सनकी, झगडरालू,


लडाकू, चूडेल, मानसिक बीमार, चरित्रहीन, अन्य अपशब्द या महिला के आन्तरिक मामलो के लिये या वेशभूषा के लिये व्यंग नही कसेंगे। तभी देश की बेटिया निर्भय, सुरक्षित, खुशहाल, मस्त व स्वस्थ्य जिंदगी जी सकेगी। तभी माँ दुर्गा आपसे पूर्णतया प्रसन्न हो पायेगी। माँ दुर्गा सबकी रक्षा करे। जय माता दी🚩


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