बिंदास बोल @ जयपुर : नेट-थियेट की श्रृंखला में शनिवार को राजस्थान के प्रतिभावान वायलिन वादक गुलज़ार हुसैन ने कार्यक्रम की शुरूआत राग कल्याण से की। उन्होंने सर्वप्रथम अलाप में स्वर विस्तार में गन्धार स्वर को बहुत ही खूबसूरत ढंग से राग में बढ़त करते हुए वायलिन के सुरीले और मीठे सुरों श्रोताओ को मंत्रमुग्ध किया।
नेट-थियेट के राजेन्द्र शर्मा राजू ने बताया कि गुलज़ार ने इसके पश्चात अलाप लिया और आगरा घराने के उस्ताद फय्याज़ खान द्वारा रचित छोटे ख्याल की बंदिश "पल पल मोरी बाहें फड़के" को मध्यलय तीन ताल में प्रस्तुत किया। बंदिश में गमक, तीनो सप्तक व मरुखण्ड की ताने साथ ही मूर्छना की तानों को गुलज़ार ने बहुत ही सधे तरीक़े से प्रस्तुत कर अपनी कला की छवि छोड़ी। कार्यक्रम का समापन राग भैरवी की ठुमरी "बनाओ बतिया साजन काहे को झूंठी.." से किया। गुलज़ार के साथ युवा तबला वादक मेराज हुसैन ने अपनी खूबसूरत संगत से कार्यक्रम को परवान चढ़ाया। गुलज़ार ने ऑनलाइन बैठे दर्शक की मांग पर धुनें सुनाकर अपनी प्रस्तुति भी दी। कार्यक्रम की शुरुआत उद्घोषक और पत्रकार सुनील सुशीला शर्मा ने करते हुए गुलज़ार से उनके संगीत यात्रा के बारे में चर्चा की। प्रकाश व्यवस्था मनोज स्वामी तथा संगीत विष्णु कुमार जांगिड़ और मंच सज्जा जितेंद्र शर्मा और अंकित शर्मा नोनू की रही।
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