💥गाँधी सर्किल पर गाँधी जी की पुण्यतिथि पर हुआ श्रद्धांजलि कार्यक्रम
बिंदास बोल @ जयपुर : प्रदेश के गांधीवादी और जनपक्षीय जन संगठनों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर शनिवार को गांधी सर्किल पर गांधी जी की प्रतिमा के समक्ष श्रद्धांजलि, सर्वधर्म प्रार्थना एवं उपवास कार्यक्रम आहूत किया। साथ ही आंदोलनरत किसानों को समर्थन देते हुए केंद्र सरकार से किसानों के हित में तुरन्त प्रभाव से तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की। यह श्रद्धांजलि कार्यक्रम शनिवार सुबह 10:00 से 4.00 बजे तक रखा गया। वाणिज्य सेतू की सम्पादक आशा पटेल ने बताया कि यह दुर्भाग्यपूर्ण बात रही कि जब सुबह हर वर्ष की भांति गाँधी जी की प्रतिमा को श्रद्धांजली देने के लिये सर्किल पहुचे तो आयोजन कर्ताओं को अंदर नही जाने दिया गया, तब पुलिस आयुक्त के हस्तक्षेप के बाद ही कार्यक्रम की शुरूआत हो पाई। इससे भी बड़ी दुखद बात यह रही कि नगर निगम की ओर से हर वर्ष गांधीजी की बड़ी प्रतिमा पर किया जाने वाला माल्यार्पण भी नहीं किया गया था, पार्षद द्वारा नगर निगम महापौर और अधिकारियों को फ़ोन के जरिए बार-बार सूचना देने के बावजूद भी प्रतिमा की साफ-सफाई व नई सूत की माला नही पहनायी गई, जो स्वच्छता अभियान को मुँह चिढ़ाती प्रतीत-सी हुई व गाँधी जी के प्रति श्रद्धा भावना की अवहेलना करती महसूस हुई । इस मौके पर सभी संघटनो की ओर से सर्किल पर श्रद्धान्जलि कार्यक्रम के दौरान भजन-कीर्तन व प्रार्थना हुई। कुछ कार्यकर्ताओ ने गाँधी जी के आदर्शो को याद करते हुए उपवास भी रखे। इस दौरान वक्ताओं ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि देश की आजादी से पूर्व नील की खेती के खिलाफ चलाया गया गांधी जी के जीवन का महत्वपूर्ण आंदोलन था। नील की खेती जो उस जबरन ठेकेदारी और लठेती के बल पर किसानों को बिना लाभ और जमीन को बंजर होने की कीमत पर करवाई जा रही थी। गांधी जी के नेतृत्व में बड़ा लम्बा किसान आंदोलन चला जो कालांतर में आजादी का आंदोलन बन गया ठीक उसी तरह आज की मोदी सरकार निजी कंपनियों के हितों में कृषि कानूनों थोपकर किसानों को फिर उन्ही लुटेरों के हवाले करने पर आमदा है। उनके दो महीने के आंदोलन को षडयंत्र करके हल करने के उल्ट दमन करके कुचलने पर उतारू है। यह जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है। किसान घोर दमन के बाद भी आंदोलन पर डटा हुआ है। सभी जन संगठनों ने किसानों के साथ एकजुटता दिखाई और सरकार से दमनात्मक कार्रवाई छोड़ तुरंत प्रभाव से तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की। साथ ही UAPA कानून सहित किसानों एवं मानवाधिकार कार्यकर्ताओ पर दर्ज मामले वापस लेने की केंद्र सरकार से मांग की गई।
💥सम्बोधित करने वालों प्रबुद्ध समाजशास्त्री और जनवादी लेखक संघ के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष प्रो. राजीव गुप्ता, कालेज टीचर्स फेडरेशन के उपाध्यक्ष प्रो. घासीराम चौधरी, प्रो. विशाल विक्रम सिंह, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी ) के केन्द्रीय कमेटी के सदस्य कामरेड बासुदेव, राजस्थान समग्र सेवा संघ के अनिल गोस्वामी, जयसिंह राजोरिया, गोपाल शरण, राजस्थान राज्य गांधी स्मारक निधि के धर्मवीर कटेवा, राजस्थान खादी संघ के चमेल सिंह, गणपत सिंह, विनोबा ज्ञान समिति के डा. अवध प्रसाद, राजस्थान नागरिक मंच के रामचंद्र शर्मा अरविंद दरोता, श्रमिक नेता सीटू राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष कामरेड रविन्द्र शुक्ला, एटक के कुणाल रावत, इंटक के जीवन सिंह, वि. वि. कर्मियों के लक्ष्मण सैन, मो मुस्तफा, निर्माण मज़दूर यूनियन के हरेकश बुगालिया, सीपीआई(एम) की सुमित्रा चोपड़ा, अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता के रमेश शर्मा, सीपीआई एम एल के राहुल चौधरी, सपा के शैलेन्द्र अवस्थी, एन एफ आई डब्लू की सुनीता चतुर्वेदी, इप्टा के मुकेश चतुर्वेदी प्रेमा चतुर्वेदी, जनवादी महिला समिति की कुसुम साईवाल कविता शर्मा, जमाते इस्लाम हिन्द के नाजीमुद्दीन, मसीही शक्ति समिति के फादर विजयपाल, अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की मंजूलता, एवं कच्ची बस्ती के विजय बहादुर गौड़, सईदा, महादेव, दलित शोषण मुक्ति मंच के प्यारेलाल शकुन, पीयूसीएल की कविता श्रीवास्तव , हेमन्त मोहपुरिया, राजस्थान महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लाडकुमारी जैन, पवन सुराणा, रेणुका पामेचा, वरिष्ठ पत्रकार आशा पटेल, पुष्पा शर्मा, विजय लक्ष्मी, कविता शर्मा ने सम्बोधित किया।
Comments