💥आईआईएस विश्वविद्यालय एवं प्रशिक्षुता प्रशिक्षण बोर्ड के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर
💥छात्राओं को पढ़ाई के साथ मिलेगा इंटर्नशिप करने का मौका
बिंदास बोल @ जयपुरः आईआईएस डीम्ड विश्वविद्यालय द्वारा उद्यमिता एवं कौशल विकास को ध्यान में रखते हुए चलाए जा रहे कोर्सेज़ में शैक्षिकता एवं उद्यमिता के बीच की दूरी को खत्म करने के मकसद से विश्वविद्यालय एवं प्रशिक्षुता प्रशिक्षण बोर्ड (उत्तरी क्षेत्र) कानपुर जयपुर ऑफिस के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से जारी की गई गाइडलाइंस को ध्यान में रखते हुए डाॅ राखी गुप्ता (रेक्टर व रजिस्ट्रार) आईआईएस विश्वविद्यालय एवं विवेक कुमार, प्रशिक्षुता सलाहकार ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर डाॅ अशोक गुप्ता (चांसलर) प्रो टी एन माथुर (कुलपति) एवं प्रो के एस शर्मा (एडवाइज़र) भी मौजूद थे। इस समझौते के अंतर्गत विश्वविद्यालय की छात्राओं को पढ़ाई के साथ-साथ इंटर्नशिप एवं एप्रेंटिसशिप करने का मौका मिलेगा। गौरतलब है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की गाइडलाइंस के आधार पर विश्वविद्यालय में चलाए जा रहे कोर्सेज़ में से चार कोर्सेज़ बीबीए, बीएफए (पेंटिंग, स्कल्पचर, एप्लाइड आर्ट) बीएससी (ज्वैलरी डिज़ाइनिंग) एवं बीएससी फैशन डिज़ाइनिंग चुने गए हैं जिसके पाठ्यक्रम को उद्यमिता एवं कौशल विकास से जोड़ने की आवश्यकता है। इस समझौते के अंतर्गत प्रशिक्षुता प्रशिक्षण बोर्ड की सहायता से यह कोर्स कर रहीं स्नातक की छात्राएं पढ़ाई के साथ-साथ व्यावसायिक अनुभव प्राप्त कर सकेंगीं।
इस समझौते के बारे में ज़्यादा जानकारी देते हुए विवेक कुमार ने बताया कि आईआईएस विश्वविद्यालय में चल रहे उद्यमिता एवं कौशल विकास से जुड़े कोर्सेज़ की गुणवत्ता को देखते हुए इस समझौते के लिए इस विश्वविद्यालय को चुना गया है। इस समझौते के अंतर्गत विश्वविद्यालय की छात्राएं देश के किसी भी कोने में स्थित सरकारी, गैर-सरकारी व निजी संस्थाओं के साथ कम से कम 6 महीने की इंटर्नशिप कर सकती हैं जिसके सफलतापूर्वक पूर्ण होने पर उन्हें एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा। वहीं डाॅ अशोक गुप्ता ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की इस पहल की सरहाना करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय की हमेशा से ही कोशिश रही है कि छात्राएं न सिर्फ उच्चतम गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त करें बल्कि व्यावसायिक जीवन में भी अपने पैरों पर खड़े होकर नाम रौशन करें। इस समझौते के अंतर्गत छात्राओं को कोर्स के दौरान ही व्यावसायिक अनुभव प्राप्त होगा जिससे उन्हें अपना करियर बनाने में मदद मिलेगी।
शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का मानना है कि वर्ष 2030 तक पूरे विश्व में से कार्यशील आयु जनसंख्या का सबसे अधिक भाग हमारे देश में होगा। इस जनसांखिकीय विभाजन को उपयोग में लाने के लिए न सिर्फ शिक्षा के स्तर को ऊंचा करना होगा बल्कि रोज़गार के साधन भी उपलब्ध करवाने होंगें। ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि यह समझौता एम्प्लाॅयमेंट एवं एम्प्लाॅयबिलिटी के बीच की दूरी को पाटने में मदद करेगा।
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