जिन जोन उपायुक्त से एक जोन का जिम्मा नहीं संभलता उनको कई शाखाओं की जिम्मेदारी क्यों? : प्रशांत गौड़


💥भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ 12 अप्रेल को आमजन मानसरोवर जोन मे देगे धरना     

✍️प्रशांत गौड़ की कलम से

यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल जी ने कई माह पहले आवासन मंडल में अफसरों को खरी खरी सुनाई थी और उनको काम करने की नसीहत दी थी उनका दायरा भी उनको बताया था, पिछले शासन में अब जयपुर नगर निगम को नरक निगम भी कह चुके हैं, लेकिन भ्रष्टाचार का अड्डा बनते जा रहे जयपुर नगर निगम ग्रेटर में भ्रष्ट अधिकारी जिस तरीके से अपना खेल चला रहे हैं उनकी ओर जब तक मंत्री जी का ध्यान नहीं जाएगा तब तक जयपुर शहर का बड़ा आबादी वाला हिस्सा समस्याओं से ग्रस्त रहेगा। जयपुर ग्रेटर नगर निगम बनने के बाद मेयर सौम्या गुर्जर ने ताबड़तोड़ दौरे कर यह दिखाने की कोशिश की थी कि वह भ्रष्टाचार को जयपुर नगर निगम के नाक से निकाल देंगी, लेकिन कुछ दिन यह नौटंकी खूब चली।  मेयर अवैध निर्माणों पर भी गरजी, अवैध बूचड़खाना पर भी गरजी, लेकिन कुछ दिनों बाद ही समस्याओं से महापौर ने कन्नी भी काटी। 


आज मानसरोवर ग्रेटर समस्याओं का अड्डा बनता जा रहा है। बड़ी समस्या तो यह भी है कि यहां पर कुछ अधिकारियों, कार्मिकों और जोन उपायुक्त की मनमानी मजे से चल रही है। कुछ जोन अधिकारी बहुत ईमानदारी से काम भी कर रहे हैं,  लेकिन भ्रष्ट अधिकारी नगर निगम आयुक्त की भी परवाह नहीं करते हैं। जहां नगर निगम आयुक्त दिनभर की व्यस्ता के बावजूद कभी-कभी लोगों के फोन अटेंड कर उनकी समस्याएं भी सुनते हैं और संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई के आदेश भी देते हैं लेकिन नगर निगम में मौजूद कई बिगड़ेल अधिकारी और कार्मिक जिनके लिए नगर निगम कमाई का बेहतरीन अड्डा बन चुका है और करोड़ों के वारे न्यारे इसी नगर निगम से वह करते आए हैं, उन अधिकारियों के लिए निगम आयुक्त के आदेश भी कोई महत्व नहीं रखते हैं।            इन दिनों मानसरोवर जोन उपायुक्त आभा बेनीवाल लोगों की चर्चाओं में है। जब से वह पावरफुल बनी है और उन पर नगर निगम ने कहीं जिम्मेदारियां सौंप दी हैं तब से वह जनता से कोसों दूर हो चुकी हैं। उनके लिए चर्चा तो हमेशा बनी रही है  कि वह जन समस्याओं से कन्नी काटती है और उन्हीं लोगों से मिलती हैं जिनसे उनका कोई हित सधता हो। क्या यह बात कहना गलत नही होगा कि मानसरोवर सांगानेर जोन का जिम्मा संभालने के बाद यहां पर समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही है। अवैध अतिक्रमण, अवैध निर्माण और आवासीय इलाकों में बड़े-बड़े कांपलेक्स मानसरोवर सांगानेर की खूबसूरती को धब्बा लगा रहे हैं। मानसरोवर में 20 से 30 फीट की सड़क पर आवासीय इलाके में चार से पांच मंजिला अवैध व्यावसायिक निर्माण क्षेत्र की खूबसूरती को बिगड़ रहा है, क्या ये गलत नही है कि मानसरोवर और सांगानेर जोन उपायुक्त कभी कुर्सी पर नहीं मिलती है कभी लोगों के फोन अटेंड नहीं करती हैं और ना कभी जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को जानती हैं? उनके आने के बाद बंदरोड लाइटें, टूटी सड़क, बदहालसफाई व्यवस्था, बदहाल पार्क मानसरोवर सांगानेर की पहचान बनते जा रहे हैं? क्या यह बात भी गलत है कि उनके आने के बाद अवैध निर्माण करता इतने बेखौफ हो चुके हैं कि नगर निगम को तो अपनी पॉकेट में रखते हैं। क्या यह कहना भी गलत है की मौके पर आभा बेनीवाल जहां अवैध निर्माण होता है उसको देखने के बाद वह अवैध निर्माण कुछ दिन दिखावे के लिए रुकता है और फिर इतने बेधड़क तरीके से होता है कि शिकायतकर्ता लोग अपनी पीड़ा मीडिया के समक्ष रखते हैं और जनहित में चलने वाले कुछ समाचार पत्र जिनमें आज भी कुछ पत्रकार जो जानते हैं जनता की पीड़ा क्या है और वह पत्रकारिता के पेशे में जनहित को रखने के लिए आए थे जन समस्याओं को रखने के लिए उस खबर को पूरी ईमानदारी के साथ प्रकाशित करते हैं? ऐसी मीडिया के कारण ही आज भी भ्रष्ट अधिकारी डरते हैं लेकिन कमाई का चलन ऊपर तक और भ्रष्ट नेताओं तक होने कारण ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई तब तक नहीं होती जब तक जन आंदोलन पूरे चरम पर नहीं आता है। जोन उपायुक्त आभा बेनीवाल अकेली नहीं है इन दिनों ग्रेटर नगर निगम में उन्हीं अधिकारियों को कुछ सीट पर फिक्स किया जा रहा है जहां से मोटा माल कहां-कहां पहुंचता है इसकी जांच होनी चाहिए। मानसरोवर जो एशिया की सबसे खूबसूरत कॉलोनी मानी जाती थी कभी आवासन मंडल ने इस कॉलोनी का निर्माण इतनी खूबसूरती से किया था कि पूरी एशिया में चर्चित हो गई थी आज यह कॉलोनी अवैध निर्माणों कारण अपना वैभव होती जा रही है। मानसरोवर रजत पथ मोती पार्क, मध्यम मार्ग, किरण पथ, थड़ी मार्केट इलाकों में बेखौफ हो चुके अवैध निर्माण करता किसके इशारे पर बड़े-बड़े अवैध निर्माण कर रहे हैं 


अभी गत दिनों विधायक अशोक लोहाटी से लोग मिले और थड़ी मार्केट में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण की बात सुनाई उन्होंने यह भी बताया आयुक्त यज्ञ मित्र को ज्ञापन दे चुके है वह जोन उपायुक्त आभा बेनीवाल को कार्रवाई के लिए कह चुके हैं लेकिन जोन उपायुक्त जैसे लगता है किसी की सुनती नहीं है। जैसे कि नेता मेहरबान तो कुछ भी कर अधिकारी, कोई रोक नहीं।  मानसरोवर में ही जोन 45/ 61 मैं 4 मंजिला अवैध व्यावसायिक निर्माण किसके इशारे पर हो रहा है। दिन-रात गंभीर वायलेशन होने के बाद इस पर कार्रवाई क्यों नहीं होती है एक माइग्रेन की पेशेंट महिला दो बार अस्पताल पहुंच चुकी है और उसका परिवार प्रताड़ित है लेकिन अवैध निर्माण करता दिनभर भारी भरकम मशीनें चलाता है और यह बता रहा है कि उसकी तूती भ्रष्ट नेताओं, भ्रष्ट अधिकारियों तक किस तरह बोलती है। उनकी शिकायत भी आयुक्त यज्ञ मित्र के पास स्थानीय लोग कर चुके हैं और वह भी आवा बेनीवाल को कार्रवाई के लिए कह चुके हैं लेकिनयह पैसा बोलता है और पैसा बोलता है तो भ्रष्ट नेता भी खूब बोलता है और भ्रष्ट अधिकारी भी मुंह सिले चुपचाप बैठ जाता है और अवैध निर्माण करता बेखौफ हो जाता है  क्या यह बात भी गलत है कि मानसरोवर जोन उपायुक्त जिन बड़ी-बड़ी चमचमाती गाड़ी में चलती हैं उनसे कितनी बार उन जगहों पर आई जहां पर जन समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं आज  मानसरोवर में  जगह-जगह बड़े-बड़े अतिक्रमण इनके आने के बाद हो चुके हैं भ्रष्टाचार की ऐसी बानगी शायद ही पहले देखने को मिली हो। गेटर मेयर सौम्या गुर्जर भी वही गरजती है जहां अधिकारी उनके शहर में काम नहीं करता है। कुछ माह पूर्व स्वर्ण पथ पर एक अवैध निर्माण देखने मेयर खुद आ गई थी आज जब मानसरोवर अवैध निर्माणों का अड्डा बनता जा रहा है और अवैध निर्माणकर्ता पैसों के खेल से सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर चार से छह मंजिला व्यावसायिक निर्माण कर रहा है तब ऐसे अतिक्रमण ऐसे अवैध निर्माण और जन समस्याओं पर गहरी अनदेखी क्या दर्शा रही है? ईमानदारी की बात करना ईमानदार होना और ईमानदारी से काम करना मैं गहरा अंतर है। मानसरोवर सांगानेर और दूसरे इलाके अवैध निर्माणों पर चर्चा में क्यों हैं? परकोटे में जन समस्याओं पर जब नेता सड़कों पर उतर कर लोगों के बीच आ सकते हैं तो मानसरोवर मे भ्रष्टाचार जब नगर निगम जोन में पूरी तरह उफान मार रहा है तब यह नेता अपना मुंह छुपा क्यों बैठे हैं? शायद यही कारण है पीड़ित जनता 12 अप्रैल को जनसमस्याओं के पर धरना देने को विवश है? क्या मंत्री साहब ऐसे भ्रष्ट अधिकारी आपके अच्छे कार्यों को और छवि को धूमिल करने का प्रयास नहीं कर रहे हैं? चर्चा है तो फिर यही बनती हैं जब भ्रष्ट अधिकारी बेखौफ होकर काम करते हैं तो उसकी आच मंत्री तक आती है चाहे मंत्री कितनी ईमानदारी से काम क्यों नहीं कर रहा हो? यह बात सही है कि धारीवाल के आने के बाद शहरी विकास के रुके बड़े प्रोजेक्ट गति पकड़े है जयपुर को नई नई योजनाएं भी मिल रही है लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करने में देरी क्यों दिखाई जा रही है।  नगर निगम से जेडीए से ऐसे भ्रष्ट अधिकारी जिनसे उच्चाधिकारी भी अंदर अंदर खफा हो, उनको हटाकर बर्फ में क्यों नहीं लगाया जा रहा है?  नगर निगम ग्रेटर में कई जोन भ्रष्टाचार का अड्डा क्यों बनते जा रहे हैं ऐसे में जो अधिकारी ईमानदारी से काम कर रहे हैं उनका भी दम इन व्यवस्था में घुटने लगता है। क्या भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई कर कर यूडीएच मंत्री जी कोई बड़ा संदेश देंगे या भ्रष्ट अधिकारी हर शासन में अपनी तूती बोलते हैं यही बात फिर चरितार्थ हो जाएगी

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