गर्मी-उमस-बारिश ने मौसमी बिमारियो को दी दस्तक

    ✍रेखराज चौहान✍

बिंदास बोल @ जयपुर : इन दिनों उमस भरी गर्मी से जन-जीवन काफी हद तक प्रभावित हुआ है। दिन में बढ़ते तापमान और उमस के साथ प्राकृतिक हवा के अभाव से जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे समय मे टाइट कपड़े, जींस, सिंथेटिक कपड़े लायलोन के कपड़े, टेरीकॉट के कपड़े, फास्ट कलर के कपडे पहनने से हमारे शरीर पर छोटे छोटे लाल दाने या फोड़े फुंसी के निकल आते है।  साथ ही बार-बार पसीने आने से स्किन मे चिपचिपाहट के  हालत हो जाते है।  ऐसे में खुजली व चर्म रोग हो जाना  चकत्ते उभर आना पित्ती की जैसी स्थिति हो जाना, जॉइन्ट  की जगह तेज दर्द होना  पिन प्वाइंट पेन मानो चींटीया काट रही हो यह मौसमी  समस्याये देखने को मिलती है। ऐसे मे सर्वप्रथम शरीर में पानी की मात्रा बनाए रखने की सख्त आवश्यकता है इसलिए मिट्टी के मटके का भरपूर पानी पिए साथ ही तरल पदार्थों का ज्यादा सेवन करें नींबू पानी, दही, छाछ राबड़ी सत्तू गुलाब व खस का शरबत, मौसमी फल व सब्जियों का नित्य प्रति सेवन करें । फल सब्जियों की सफाई और अपने रसोई के बर्तनों के साथ भोजन बनाते समय और खाते समय हाथों की सफाई पर विशेष ध्यान रखें। ऐसे समय में कब्ज बिल्कुल ना होने दें इसके लिए सोने से पहले दूध में गुलाब का गुलकंद या ईसरबोल की भूसी का सेवन कर सकते हैं आवश्यक ता होने पर होम्योपैथी मेडिसिन Nux Vom30 भी ले सकते हैं ऐसे मौसम में पेट में दर्द हो जाने कि शिकायत जी मिचलाना उल्टी आना यह लक्षण भी देखने को मिलते हैं जिसे हम घरेलू नुस्खो भोजन के द्वारा चिकित्सा व पाचन शक्ति दुरुस्त रखकर बच सकते हैं । प्रातः कालीन शौच आदि क्रियाओं से निवृत्त होकर अपनी नाभि के नीचे मिट्टी पट्टी जो की रात में भिगोइ हुई मिट्टी की होती है को 20 मिनट लगाना लाभदायक होता है साथ ही एक लंबा टावल ठण्डे पानी में भिगोकर 20 से 40 मिनट अपनी संपूर्ण रीड की हड्डी पर लगाना भी स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद महसूस होता है  कटि स्नान एनिमा प्राकृतिक चिकित्सा से हम अपने स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।

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