बिंदास खरी-खरी
सावन आरंभ होते ही जयपुर वासी प्रकृति के दर्शन के साथ ही तर माल खाने के शौकीन रहे है। इस मौसम में चूरमा दाल बाटी की गोठ हो तो क्या कहने, लेकिन हाय रे कोरोना! दो बरस से चूरमा दाल बाटी के दर्शन दुर्लभ हो गए, कारण कोरोना बाबा की गाइड लाइन। कल खोले के हनुमानजी के यहां कुछ लोग कह रहे थे कि 50 आदमी की ही कर लेने दो लेकिन प्रबंधन गाइडलाइन की बात कह रहा है। सरकार ने धार्मिक स्थलों पर धार्मिक आयोजनो को लाकडाउन कर रखा है जैसे कोरोना वहीं छुपा बैठा हो और जाते ही पकड लेगा। एक मासूम सा सवाल है कि नेताओं के पैदल मार्च में तीन-चार सौ की भीड चले। सैकड़ो लोग सामुहिक विरोध-प्रदर्शन करे, सरकार विधायकों का सामूहिक भोज करे, हजारो लोगों की भीड नेताजी का जन्मदिन मनाए। मंत्रीजी सैंकडों लोगों की भीड में चरते हुए मुंह में मुंह डालकर जुगाली करे, कोरोना बाबा ने इन्हें शायद छूट दे रखी है। कोरोना बाबा विवाह समारोह, धार्मिक आयोजनों और मृत्यु के आवश्यक संस्कारों में ही शायद घूमता रहता है, नेताओं और भिखारियों के पास नहीं फटकता, शायद दोनों के ही मंगते होने के कारण। मैंने एक अधिकारी से पूछा कि आप लोग ऐसे प्रतिबंधित आयोजनों के आयोजकों के खिलाफ मुकदमें क्यों नहीं बनाते तो उल्टे बोला खैर मनाओ अपनी कि मैं तुम्हारा दोस्त हूं, वरना आजकल सरकारें ऐसे सवाल उठाने वालों को बारह ताडियों के पीछे भेज देती है।
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