हिन्दी दिवस को समर्पित उप निरीक्षक पुलिस की कविता

बिंदास बोल@ कविता

हिन्दी हैं हम, हिन्दी हैं हम,

हिन्दी वतन है, हिन्दी है जान।

ना कोई हिंदू ना कोई मुस्लिम,

सिख ईसाई महज धर्म है।

नर सेवा नारायण सेवा,

मानव धर्म है, मानव कर्म है।

हिन्दी हिन्दी हिन्दी हम,

हिन्दी हिंदू हिंदुस्तान।

उत्तर में है पर्वतराज,

दक्षिण में सागर सम्राट।

पूर्व पश्चिम मालामाल,

हरदम रहते ठाट और बाट।

हिन्दी मां है उर्दू मौसी,

संस्कृत जगत जननी सी है।

तन मन को यह निर्मल कर दे,

लगे गंगा की धार मंदाकिनी सी है। 

हिन्दी तन मन, हिन्दी जीवन,

हिन्दी दिल और जान है। 

हिन्दी राष्ट्र की पहचान,

हिन्दी हिंदुस्तान है।।

सुंदरलाल, उप निरीक्षक राजस्थान पुलिस

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