हे राम ! जरा ध्यान धरो,
रावण का तुम संहार करो।
कदम कदम पर मां सीता-सी, अपहरण हो रही कोमल नारी।
गली-गली में अशोक वाटिका,
बंधक जीवन जी रही बेचारी।
बन भिक्षुक रावण आता,
घर में लूट मचा कर जाता।
कोमल नारी कैसे सम्भले,
जब जिस्म नोचकर रावण जाता।
कदम कदम पर दुर्योधन है,
संग में शकुनि धूर्त बड़ा।
बेबस नारी द्रुपदसुता सी,
चीरहरण को दुशासन खड़ा ।
हे राम ! बन केशव नैया पार करो, रावण का तुम संहार करो।।
धृतराष्ट्र नेत्रहीन है,
गली-गली में दुर्योधन ।
भीष्म पितामह मौन खड़े हैं,
देख रहे हैं चीरहरण ।
दुष्कर्म, डकैती, लूट, चोरी, हत्याओं की मारा मारी।
मासूम जिंदगी नरक बनी है,
आंखों में है अश्रु भारी।
हे राम ! अब सुन लो पुकार,
फिर से अब तुम लो अवतार,
सुदर्शन चक्र धारण कर ,
समाज में नवजीवन दो उतार।
हे राम! जरा ध्यान धरो,
रावण का तुम संहार करो।।
✍सुंदर लाल, उप निरीक्षक, राजस्थान पुलिस
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