।।मैं खाकी वर्दी वाला हूं।।

बिंदास बोल @ कविता

मैं खाकी वर्दी वाला हूं,

समाज में मेरा काम निराला।

जब भी कोई चुनौती आए,

आगे रहता है पुलिस वाला।।

जब से समाज का जन्म हुआ, तब से ही जन सेवक हूं ।

किसी विपत्ति में, किसी युग में मैं हरदम रहा जनसेवक हूं।

जब जब मुझको याद किया,

मैं समाज सेवा में तत्पर रहा।

परिस्थितियों से घबराता नहीं,

हरदम सेवा में तैयार रहा।।

महाभारत में द्रुपदसुता पर ,

जब विपत्ति आई भारी थी।

पांचाली ने 100 नंबर पर,

पुकार लगाई न्यारी थी ।।

महिला गरिमा का था प्रश्न,

कंट्रोल रूम में माधव थे ।

द्रोपदी की लाज बचाने को,

वहां वर्दीधारी केशव थे ।।

मनमोहन बन थानेदार,

सिग्मा लेकर पहुंचे दरबार।

सब ने देखा और सुना है श्रीकृष्ण का पुलिस अवतार।।

हर युग में जन सेवा में,

जान की बाजी लगाते हम ।।

कैसा भी कोई संकट आए,

सबसे आगे रहते हम।।

कोरोना में सबने देखा है,

पुलिस इंसानियत का चेहरा।

पुलिस है तो सब कुछ है,

झूठे हैं बाकी मोहरा ।।

फिर क्यों सोच रहे हो,

मन में क्यों नकारात्मकता है।उठो, खड़े हो जाओ फिर से, समाज में लानी सकारात्मकता है।।

।। सुंदरलाल, उप निरीक्षक

 राजस्थान पुलिस एकेडमी।।

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