"जींस, स्कर्ट या पहनू हिजाब..मर्जी मेरी हैं, आपका क्या जाता है जनाब" पर हुई विशेष चर्चा

💥हिजाब विरोध की राजनीति एवं औरतों की शिक्षा व चयन के अधिकार पर सम्मेलन आयोजित

💥मुसलमान महिलाओं ने हिजाब और बुर्के का मतलब समय-समय पर बदला है और ये उनके वजूद को स्थापित करने का माध्यम है : गजाला जमील  

बिंदास बोल @ जयपुर : राजस्थान के लगभग 40 महिला एवं जन संगठनों के 300 प्रतिनिधियों ने मिलकर हिजाब की राजनीति एवं औरतों की शिक्षा व चयन का अधिकार को लेकर एक दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया। सम्मेलन में सभी तबके, धर्म और संस्कृति के लोग शामिल हुए। यह सम्मेलन हिजाब, घूँघट को स्थापित करने के लिए आयोजित नहीं किया गया था बल्कि संविधान में दिये गए अनुच्छेद 14, 19, 21, 25 व 26 में दिये गए अस्तित्व और चयन के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए किया गया। सम्मेलन में आम सहमति बनी कि हिजाब किसी भी सूरत में संवैधानिक मूल्य बंधुता के आड़े नहीं आता है। हिजाब उसी तरह है जैसे अन्य संस्कृतियों में जनेऊ, पगड़ी, चोटी, घूँघट, दुपट्टा, बिंदी आदि होता है। हो सकता है कि कई बार यह प्रतीक खुद के चयन के परे सामाजिक बंधनों के तहत अपनाए जाते हों, लेकिन अगर लड़कियों को स्कूलों के बाहर रखा जाएगा तो वह कैसे तय करेंगी कि उनका अपना चयन क्या है। उनकी शिक्षा और ज्ञान का स्तर नहीं बढ़ेगा तो कैसे तय करेंगी यह प्रतीक उन्हें अपनाने चाहिये या नहीं। हिजाब, पगड़ी, दुपट्टा हमेशा से ही स्कूल में गणवेश (यूनिफॉर्म) के हिस्से रहे हैं, यहाँ तक कि केन्द्रीय विध्यालय संगठन ने 2012 में नई यूनिफॉर्म का हिस्सा कपड़ा मंत्रालय से डिजाइन करवाया था।

💥हिंदुवादी ताकतें छात्रों के बीच कर रही हैं विघटन : मरियम ढ़वले 

सम्मेलन को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की महासचिव मरियम ढवले ने कहा कि हिजाब का सवाल सांप्रदायिक ताकतों और हिन्दू राष्ट्र बनाने वालों के द्वारा मुसलमानों पर हो रहे हमलों की कड़ी में एक और मामला है। यह ताकतें हिजाब के बहाने छात्राओं के बीच में विघटन करने की कोशिश कर रहे हैं। देश का महिला आंदोलन सौहार्द बनाए रखने और विघटन नहीं होने देने की पूरी कोशिश करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि ऐडवा की कर्नाटक इकाई कर्नाटक उच्च न्यायालय में पक्षकार बन गई है और इस मामले को देश के सर्वोच्च न्यायालय तक लेकर जाएगी। उन्होंने आहवाहन किया कि हिजाब और घूँघट का परचम लहराया जाए।

💥हिजाब के बहाने मुसलमान लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखना है : ऐनी राजा

कार्यक्रम में भारतीय महिला महिला फेडरैशन की महासचिव एनी राजा ने कहा कि मैं राजस्थान के सभी महिला और जन संगठनों को बधाई देना चाहती हूँ कि वे इस राष्ट्रीय बहस का हिस्सा बने हैं और इसमें वे बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। उनका यह कहना था कि उनका संगठन भारतीय महिला फेडरैशन इसकी शुरुआत से ही घर, समाज और परिवार के भीतर की पित्रसत्ता से हमेशा संघर्षरत रहा है। जैसे बिंदी व्यक्तिगत चयन का मुद्दा है उसी प्रकार हिजाब भी एक प्रकार का चयन से जुड़ा हुआ मुद्दा है। उन्होंने कहा कि सरकार, समाज या कोई भी यह जबरदस्ती नहीं कर सकते हैं कि कोई हिजाब पहने या ना पहने। यह निजता है और ये एक संवैधानिक हक है। उनका यह भी कहना था कि जिस प्रकार से सड़क पर हिजाब पहनी हुई मुसलमान छात्राओं का हिजाब कॉलेज प्रशासन द्वारा जबरदस्ती उतरवाया गया वह शिक्षा का एजेंडा नहीं है बल्कि मुसलमान लड़कियों को प्रताड़ित करना है।

💥जवाहरलाल नेहरू विश्वविध्यालय की प्रोफेसर गजाला जमील ने कहा कि बीजेपी ने जब शाहीनबाग में मुसलमान औरतों को आंदोलन में उतरते हुए देखा तभी से वे मुसलमान औरतों से चिढ़े हुए हैं और वे नहीं चाहते कि मुसलमान औरतें पढ़ें और सवाल पूछें। पिछले कुछ समय में देखा गया है कि मुसलमान औरतों को इंटरनेट के माध्यम से भी टारगेट किया जा रहा है। मुसलमान औरतों को बेइज्जत कर वे पूरे समुदाय को कमजोर करना चाहते हैं। उनका यह भी कहना था कि इतिहास में औरतों ने हिजाब और बुर्का का मतलब लगातार बदला है। ईरान और अन्य देशों में अमरीकी शासकों के विरुद्ध जब लड़ाई लड़ी तो उस समय हिजाब और बुर्के को प्रतीक को बनाया गया इसलिए यह उनके लिए अपने वजूद का माध्यम है।

💥विशेष वक्ताओं में जयपुर, अजमेर, राजसमंद, कोटा जिलों से आई बहिनें थी जिन्होंने हिजाब को लेकर खुलकर अपनी बातें रखी। कइयों ने यह भी बताया कि वे क्यों हिजाब पहनती हैं और क्यों नहीं। कुछ का यह भी कहना था कि हिन्दू मुसलमानों की बीच में दूरियाँ बढ़ाने के लिए यह मुद्दा बनाया जा रहा है।   

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता अनीता माथुर, सुमित्रा चोपड़ा, ममता जैटली, मेवा भारती, निशात हुसैन, लाड़ कुमारी जैन, रेणुका पामेचा, निशा सिद्धू एवं मंजुलता ने की। कार्यक्रम में स्वागत शबनम अज़ीज़ ने, कार्यक्रम का सफल संचालन सुमित्रा चौपडा ने, तथा विषय की प्रस्तुति कविता श्रीवास्तव के द्वारा की गई। अध्यक्ष मण्डल की ओर से लाड़ कुमारी जैन के द्वारा अपनी टिप्पणी रखी।  संचिता ने सम्मेलन में आये सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।   

💥सम्मेलन मे शामिल हुई संस्थाए

नेशनल मुस्लिम वुमन वेलफेयर सोसायटी, पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL), अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (AIDWA), महिला पुर्नवास समूह, राजस्थान विश्वविद्यालय महिला संस्था (RUWA), भारतीय महिला फेडरेशन (NFIW), मजदुर किसान शक्ति संगठन (MKSS), अखिल भारतीय प्रगतिशील संगठन (AIPWA), अखिल भारतीय क्रांतिकारी छात्र संघठन (AIRSO), राजस्थान महिला कामगार यूनियन, महिला जन अधिकार समिति भारत ज्ञान विज्ञानं समिति (BGVS), (MJAS), विकल्प, एकल नारी शक्ति संगठन, बाल व महिला चेतना समिति, भीलवाडा, महिला समूह बाड़मेर, राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन, आजाद फाउंडेशन, विशाखा - विमेंस डॉक्यूमेंटेशन एंड रिसोर्स ग्रुप, दलित विमन फाइट, जन चेतना, सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (CES), विविधा महिला आलेखन एंव संदर्भ केंद्र, राजसमंद महिला मंच, जन स्वास्थ्य अभियान, राजस्थान नागरिक मंच, राजस्थान समग्र सेवा संघ, गर्ल्स नोट ब्राइड, दलित अधिकार केंद्र, वेल्फेयर पार्टी ऑफ इंडिया (वुमन विंग राजस्थान), शिल्पायन, क्रांतिकारी नौजवान सभा, सर्वहारा एकता मंच, अंबेडकर विचार मंच, मुस्लिम प्रग्रेसिव फेडरैशन, GIH व  अनेक स्वतंत्र सामाजिक कार्यकर्ता, अकादमिक व साहित्यकार ।

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