ऑल इंडिया लिटरेरी फ्रेंड्स-काव्य गोष्ठी/संवेदनशील होना कवि की पहली पहचान : रेनू शब्दमुखर

बिंदास बोल @ जयपुर : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में ऑल इंडिया लिटरेरी फ्रेंड्स ने वर्चुअल काव्य गोष्ठी का प्रोग्राम आयोजित किया जिसमे भारत के अलग-अलग राज्यों से कवियों कवयित्रियों ने भाग लिया। जयपुर से संपर्क साहित्यिक संस्थान की समन्वयक महासचिव रेनू शब्दमुखर ने अध्यक्षा के पद का दायित्व निभाते हुए बताया कि कवि या लेखक संवेदनशील होता है और वह समाज की बातों को अपनी लेखनी के माध्यम से स्पष्ट करता है वह बात जितनी सहज, सीधी व सरल होगी उतनी सबके अंतर्मन को छुएगी। साथ ही अपने वक्तव्य में होली के रंगों की महत्ता बनाए रखने व इन चटक रंगों में ही जीवन का सार छुपा है,बताया। मुख्य अतिथि शायर और ज्योतिषबिंद आचार्य श्री सागर जी (गाजियाबाद) ने सुंदर गजलें सुनाई और कहा कि मुश्किलों का सामना करते हुए सभी को आगे बढ़ना है। समाज को कुचक्करों के प्रति जागृत करना हमारा कर्तव्य है।

भूपेश प्रताप, एडिटर (दिल्ली) ने बहुत ही प्रभावशाली शैली में काव्य पाठ किया तो सभी वाह वाह कर उठे। उन्होंने भी साहित्य के प्रति निष्ठा बनाए रखने को  कहा। डॉ. प्रद्युमन भल्ला ने बहुत ही सुंदर आवाज में अपनी गजलें गा कर सुनाई और विशेष कर महिलाओं के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि महिलाएं दोहरी तेहरी जिम्मेवारी निभाते हुए साहित्यक सेवा के लिए बहुत संघर्ष करती हैं। प्रो. सुदेश मोदगिल नूर ने जापान से शिरकत की। सहित्यागर रेणु अब्बी रेणु के सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का आगाज़ हुआ।संगीता कुंद्रा और अरुणा डोगरा ने मोहाली और चंडीगढ़ से वर्चुअल गोष्ठी में भाग लिया। 

ऋतु अग्रवाल (मेरठ) ने काव्य पाठ करते हुए साहित्य की बारीकियों की तरफ ध्यान आकर्षित किया। 

कृष्णा गोयल पूर्व ज्वाइंट रजिस्ट्रार,ने पंचकुला से वर्चुअल कार्यक्रम का आयोजन बहुत सुंदर ढंग से शायराना अंदाज में करके सभी का मन जीत लिया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास बताते हुए अपना काब्य पाठ किया और कहा कि भारतवर्ष में महिलाओं को हमेशा सम्मान दिया गया है और हमारे ग्रंथों में यहां तक कहा गया है *"यत्र नारी पूज्यते तत्र रमंते देवता"जहां नारी का सम्मान होता है ,वहां देवताओं का वास होता है। सभी ने आभार प्रकट करते हुए कहा कि ऐसी गोष्ठी का आयोजन हर महीने किया जाना चाहिए। भारत मां के जय उद्घोष के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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