देश के 11 दिग्गज साहित्यकार हुए सम्मानित

💥छह पुस्तकों का हुआ भव्य विमोचन

💥सम्पर्क साहित्य संस्थान का 6वाँ वार्षिकोत्सव समारोह सम्पन्न

बिंदास बोल @ जयपुर : सम्पर्क साहित्यिक संस्थान के गौरवमय छह वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में रविवार को हर्षोल्लास के साथ वार्षिकोत्सव मनाया गया । 

इस अवसर पर "साहित्य श्री" व "सम्पर्क श्री" सम्मान समारोह के बीच छह पुस्तकों का विमोचन और काव्य सरिता का आयोजन जयपुर स्थित होटल ग्रैंड सफारी में रखा गया। समारोह की मुख्य अतिथि हिमांकनी गौड़ (ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश), विशिष्ट शासन सचिव विधि राजस्थान सरकार, मुख्य वक्ता डॉ राजेश कुमार व्यास, विशिष्ट अतिथि कनिष्क शर्मा डायरेक्टर ज्ञान विहार स्कूल जयपुर, डॉ. अखिल शुक्ला अध्यक्ष हिंदी प्रचार प्रसार संस्थान, सम्पर्क अध्यक्ष अनिल लढ़ा, महासचिव रेनू शब्दमुखर ने सरस्वती माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया ।

इस अवसर पर डॉ.संजीव कुमार, विनोद भारद्वाज, कृष्ण कल्पित, इकराम राजस्थानी, मनीषा कुलश्रेष्ठ, हेमंत शेष, राजेन्द्र मोहन शर्मा, मनोज शर्मा, डॉ सूरज सिंह नेगी, रजनी मोरवाल, रमेश खत्री को साहित्यिक अवदान हेतु "साहित्य श्री" सम्मान से अलंकृत किया गया । इसके साथ ही राष्ट्रीय कवयित्री सपना सोनी, सपना मूलचंदानी, सामाजिक सेवा कार्यो के लिए डॉ मंजू राठी, सुमन डोसी, रस्तोगी, टैरो कार्ड के लिए डॉ.अनु चौधरी, पत्रकार राशिका महर्षि, सहर, विकास टिंकर प्रवीण जोशी, मुकेश गुप्ता, मानव जैन को "सम्पर्क श्री" सम्मान से नवाजा गया । 

इस अवसर पर साहित्यिक सम्मान समारोह के दौरान सम्पर्क की 6 रचनाकारों देहरादून निवासी शशि कुड़ियाल के काव्य संग्रह दिल से दिल तक, जयपुर निवासी डॉ प्रियंका (IAS) की रिज़र्व लिस्ट, नन्ही कवयित्री स्नेहा चौधरी की मेरी उड़ान, देहरादून निवासी डॉ. नूतन स्मृति की रेत के स्तूप से के साथ ही जयपुर निवासी डॉ. माला कैलाश रिश्तों के क्षितिज, जोधपुर निवासी अर्चना त्यागी द्वारा लिखित सपने में आना माँ का विमोचन भी किया गया।इस मौके पर स्वागत उद्धबोधन में अध्यक्ष अनिल लढ़ा ने संपर्क के कार्यो की जानकारी दी।  समन्वयक महासचिव रेनू शब्दमुखर ने सम्पर्क की छह वर्षों की साहित्यिक यात्रा की सिलसिलेवार को बताया।

मुख्य अतिथि हिमांकनी गौड़ ने संपर्क के असाधारण कार्यों की सराहना करते हुए साहित्य के उज्ज्वल भविष्य को बताया।विशिष्ट अतिथि कनिष्क शर्मा ने हिंदी भाषा के महत्व को विभिन्न उदाहरण के माध्यम से बताते हुए संपर्क को साहित्य के लिए कार्य करने वाला संस्थान बताकर साहित्य के महत्व को रेखांकित किया।

मुख्य वक्ता राजेश कुमार व्यास ने अपनी उद्बोधन में शब्दों के अर्थ पर  मंडरा रहे संकट की ओर  चर्चा करते हुए कहा कि लेखक लिखने से पहले  और पूरी तरह समझ कर लेखन की ओर कदम रखें। स्मृति, कल्पना और चिंतन तीन आधारों पर लेखन संभव होता है बताया।

हिंदी प्रचार प्रसार संस्थान के अध्यक्ष डॉ. अखिल शुक्ला (एडवोकेट) ने समारोह का अवलोकन करते हुए साहित्यिक क्षेत्र में नवोदित रचनाकारों के लिए संपर्क साहित्य संस्थान को वरदान बताया।

लेखिका हिमाद्री वर्मा समर्थ द्वारा धन्यवाद दिया गया।

Comments