मुनिश्री ने बताया कि उदासीनता का मतलब मुॅह लटकाना ही नहीं बल्कि अपनी इच्छाओं एवं इन्द्रियों पर अंकुश लगाकर ऊपर उठना है। इन संसार भोगों से आसक्ति का हटना ही उदासीनता है। हम जब कोई आशा करते हैं, वह पूर्ण नहीं होती है तो हताशा में बदल जाती है। हताशा ही निराशा को जन्म देती है। हमें कभी भी निराश नहीं होना चाहिए, चाहे तो उदास हो जाए।
इससे पूर्व आचार्य विद्यासागर महामुनिराज की संगीतमय पूजा की गई। आचार्य समय सागर महाराज एवं मुनि प्रणम्य सागर महाराज का अर्घ्य चढाया गया। तत्पश्चात शिविर में आये अंतरप्पाओं द्वारा संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महामुनिराज एवं आचार्य समय सागर महाराज के चित्र का जयकारों के बीच अनावरण किया गया। भगवान आदिनाथ के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन किया गया। तत्पश्चात मुनि श्री प्रणम्य सागर महाराज के पाद पक्षालन एवं शास्र भेट करने का पुण्यार्जन मुनि अक्षय सागर चातुर्मास समिति भाईन्दर के नलिन शाह, ललित जैन, अनिल शाह ने प्राप्त किया। समिति के सांस्कृतिक मंत्री जम्बू सौगानी, सदस्य अशोक छाबड़ा, अशोक गोधा ने अतिथियो को स्मृति चिन्ह भेट कर सम्मानित किया। समिति के अध्यक्ष सुशील पहाड़िया एवं मंत्री राजेन्द्र सेठी ने बताया कि इससे पूर्व सभी अतिथियों ने मुनि श्री को श्रीफल भेट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। समिति के संयुक्त मंत्री मनोज जैन ने बताया कि मीरामार्ग के श्री आदिनाथ भवन पर मुनि प्रणम्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में बुधवार, 28 अगस्त को प्रातः 8.15 बजे श्री पार्श्वनाथ कथा का संगीतमय आयोजन आयोजन किया जाएगा।
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