💥दशलक्षण महापर्व पर जैन मंदिरों में रहेगी धूम
बिंदास बोल @ जयपुर : दिगम्बर जैन धर्मावलंबियों ने शुक्रवार, 6 सितम्बर को रोट तीज पर्व भक्ति भाव से मनाया। दिगम्बर जैन श्रद्धालुओं ने मंदिरों में चौबीस तीर्थंकरों की 72 कोठे का मण्डल मांडकर तीन चौबीसी का पूजा विधान किया। जैन बन्धुओं ने घरों में रोट- खीर बनाये गये।
राजस्थान जैन युवा महासभा के प्रदेश महामंत्री विनोद जैन 'कोटखावदा' के अनुसार मंदिरों में भक्ति भाव से चौबीस तीर्थंकरों की पूजा के बाद तीनों काल के 108 जाप्य ''ॐ ह्री भूत वर्तमान भविष्यत काल सम्बन्धी चतुर्विशति तीर्थंकरेभ्यों नम:'' किये गये। महिलाओं ने व्रत उपवास किये। यह व्रत तीन साल तक किया जाता है। शुद्धता के साथ रोट बनाये जाकर सर्वप्रथम रोट, घी, बूरा, तुरई का रायता मंदिरों में पाट पर चढाया गया। रोट तीज के व्रत से अक्षय निधि की प्राप्ति होती है। भट्टारक परम्परा से रोट तीज की शुरुआत हुई। इसे त्रैलोक्य (त्रिलोक) तीज भी कहते हैं। रविवार 8 सितम्बर से दशलक्षण महापर्व प्रारम्भ होगें जो मंगलवार 17 सितम्बर तक चलेगे। इन दस दिनों के दौरान दिगम्बर जैन मंदिरों में पूजा अर्चना के विशेष आयोजन होगें ।
💥रविवार, 8 सितम्बर को धर्म का उत्तम क्षमा लक्षण मनाया जावेगा। मंदिरों में प्रातः क्षमा धर्म पर पूजा होगी। सायकांल प्रवचन में क्षमा धर्म को समझाया जायेगा। तत्पश्चात सांस्कृतिक आयोजन किये जायेंगे। जैन धर्म में उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव,उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन्य एवं उत्तम ब्रम्हचर्य सहित धर्म के 10 लक्षण होते हैं। इन दस दिनों में प्रातः से जैन मंदिरों में अभिषेक, शांतिधारा, सामूहिक पूजा, मुनिराजो की विशेष प्रवचन श्रृंखला, श्रावक संस्कार साधना शिविर, महाआरती, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। धर्मावलंबी तीन दिन, पांच दिन, आठ दिन, दस दिन, सोलह दिन, बत्तीस दिन सहित अपनी क्षमता एवं श्रद्धानुसार अलग-अलग अवधि के उपवास करते हैं। जिसमें निराहार रहकर केवल मात्र एक समय पानी लेते हैं
💥8 से 12 सितम्बर तक पुष्पांजलि व्रत (फलफांदन), 17 सितम्बर तक दशलक्षण व्रत किये जायेंगे।
💥सोमवार, 9 सितम्बर को दशलक्षण महापर्व के अन्तर्गत धर्म का उत्तम मार्दव लक्षण मनाया जायेगा।
💥शुक्रवार, 13 सितम्बर को सुगन्ध दशमी मनाई जावेगी । इस दिन मंदिरों में चन्दन की धूप अग्नि पर खेई जायेगी। सायकांल ज्ञान वर्धक तथा संदेशात्मक झांकियां सजाई जावेगी ।
मंगलवार 17 सितम्बर को अनन्त चतुर्दशी एवं दशलक्षण समापन कलश होगें । बुधवार 18 सितम्बर को षोडशकारण समापन कलश एवं पड़वा ढोक क्षमा वाणी पर्व मनाया जावेगा । इस मौके पर वर्ष भर की त्रुटियों एवं गलतियों के लिए आपस में क्षमा मांगेंगे, खोपरा मिश्री खिलायेगें।
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