संपर्क संस्थान की काव्य गोष्ठी में समसामयिकता का स्वर

💥डॉ.अखिल शुक्ला, अनु बाफ़ना और डॉ. ऋत्विज गौड़ की उपस्थिति में साहित्य से सराबोर काव्य गोष्ठी

बिंदास बोल @ जयपुर: संपर्क साहित्य संस्थान द्वारा आज दुबई से पधारीं प्रसिद्ध साहित्यकार अनु बाफ़ना के सम्मान में एक गरिमामयी एवं सारगर्भित काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अखिल शुक्ला ने की, जबकि कार्यक्रम की मुख्य अतिथि अनु बाफ़ना रहीं।

संपर्क संस्थान की महासचिव समन्वय रेनू शब्द मुखर ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान की उपलब्धियों एवं साहित्यिक गतिविधियों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। डॉ रेखा गुप्ता के सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई।

💥अध्यक्ष डॉ. अखिल शुक्ला ने अपने उद्बोधन में संपर्क संस्थान के सक्रिय साहित्यिक कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्था निरंतर साहित्यिक संवेदना को समृद्ध करने में जुटी है और ऐसे आयोजन समाज में विचार-विमर्श की स्वस्थ परंपरा को मजबूत करते हैं।

💥मुख्य अतिथि अनु बाफ़ना जी ने कहा कि 'राजस्थान की माटी के ऐसे प्रबुद्ध, संवेदनशील और सृजनशील साहित्यकारों के बीच आकर स्वयं को अत्यंत गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ। जिस ऊँचाई की कल्पना भी कठिन है, संपर्क संस्थान ने आज मुझे उसी साहित्यिक रसधारा से जोड़ा है। उन्होंने संस्थान के प्रति आभार व्यक्त किया।साहित्यकार अनु बाफना  को 'सम्पर्क सेवाश्री' सम्मान से अलंकृत कर उनका सम्मान किया गया।

💥विशिष्ट अतिथि प्रिंसिपल डॉ. ऋत्विज गौड़ ने समसामयिक मुद्दों पर प्रस्तुत कविताओं पर गहन व दूरदर्शी विचार रखे। उन्होंने समाज के सामने उपस्थित चुनौतियों और साहित्य की भूमिका पर सुंदर, सटीक और गंभीर दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जो उपस्थित सभी जनों के लिए अत्यंत प्रेरक रहा।

दूरदर्शन की पूर्व उद्घोषिका उषा रस्तोगी ने भी अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम में विशेष ऊष्मा और साहित्यिक सौम्यता का संचार किया। मंच संचालन की ज़िम्मेदारी प्रबुद्ध विदुषी डॉ. कंचना सक्सेना ने निभाई, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता और सहज शैली से पूरे कार्यक्रम को बाँधे रखा और सभी का दिल जीत लिया।

कार्यक्रम के सफल आयोजन उपस्थित साहित्य प्रेमियों में रेखा गुप्ता, डॉ. सुषमा, सरोज जी, पुष्पा जी, विजया, अविनाश जी, मुकेश जी, सुनीता त्रिपाठी, साधना रस्तोगी, प्रसिद्ध पत्रकार मणिमाला शर्मा, तथा तोशी जांगिड़ ने सारगर्भित कविताओं से अपनी भागीदारी निभाई।यह कार्यक्रम अपने गंभीर विमर्श, समसामयिक विषयों पर सार्थक चर्चा, उच्च कोटि की कविताओं, और सभी प्रतिभागियों की संवेदनशील अभिव्यक्ति के कारण अत्यंत सफल और यादगार रहा। संपर्क संस्थान ने एक बार फिर साहित्यिक जगत में अपनी अलग पहचान को सुदृढ़ किया।

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