बिंदास बोल 🌻 बसंत पंचमी
🌻🌻🌻🌻
ओ मेरे बसंत
जब तुम आते हो..
दिल को लुभाने वाली
पवन बहाते हो..
और मैं मस्तमौला हो
सारी चिंताओं को विस्मृत कर..
निडरता से जिधर रुखकर
जाना चाहती हूं...
उधर चली जाती हूँ..
क्योंकि मन बसंत हो जाता है ।।
बसंत होना तुम जानते हो ना खुशी का, उमंग का, उत्साह से
रोम-रोम का पुलकित हो जाना..
अप्रतिम खुशी का अहसास जो प्रकृति के कण-कण में
जर्रे-जर्रे में समा जाता है..
तो मैं कैसे अधूरी रह सकती हूं और मैं बसंत हो जाती हूँ।।
🌻रेनू शब्दमुखर
जयपुर
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